
सिकल सेल रोग को समझना

सिकल सेल रोग जन्मतजात रक्त विकार है
रक्त में जीन्स के अनेक सेट होते हैं जो आप अपने जन्म देने वाले माता-पिता से प्राप्त करते हैं। प्रत्येक सेट आपके शरीर में एक खास भूमिका निभाता है, जैसे आपकी आंखों के रंग का निर्धारण या आपकी त्वचा के रंग को तय करना। जीन्स के एक अन्य सेट द्वारा यह निर्धारित किया जाता है कि लाल रक्त कोशिकाएं कैसे बनी हैं और वे किस प्रकार से काम करती है, और यह एक ऐसी विशेषता है जिसे आप अपनी आंखों से नहीं देख सकते हैं। इन जीन्स को हीमोग्लोबिन जीन्स कहा जाता है, जिनका नाम लाल रक्त कोशिकाओं में शामिल प्रोटीन के नाम पर रखागया है जो आपके शरीर में ऑक्सीज़न के परिवहन का काम करता है।
आप अपने पिता और माता, दोनों से एक-एक हीमोग्लोबिन (एचबी) जीन प्राप्त करते हैं। सिकल सेल रोग के गुणों वाले व्यक्तियों में एक सामान्य हीमोग्लोबिन जीन (एचबीए) होता है और दूसरा सिकल हीमोग्लोबिन जीन (एचबीएस)होता है। एचबीएस के कारण लाल रक्त कोशिकाएं दरांती (सिकल) के आकार में बदल जाती हैं। सिकल सेल गुण होने का अर्थ यह नहीं है कि किसी को “ट्रेस” सिकल सेल रोग है। वास्तव में, इसके विपरीत होता है। सिकल सेल गुण, रोग से पूरी तरह से अलग होता है; संभावित रूप से इसके कारण लक्षण हो सकते हैं, लेकिन इसके उदाहरण बहुत ही कम हैं।
सिकल सेल रोग को अंतरित करने का जोखिम इस बात पर निर्भर करता है कि क्या माता-पिता में से दोनों में उसके गुण हैं या उन्हे यह रोग है। ऐसे माता-पिता से पैदा होने वाले प्रत्येक बच्चे को संभावित रूप से सिकल सेल रोग हो सकता है।

आपका रोग आपके जीन्स के प्रकार पर निर्भर करता है
सिकल सेल रोग वास्तव में विभिन्न प्रकार के रक्त विकारों के समूह को कहा जाता है जो “सिकल” हीमोग्लोबिन (एचबीएस) से होता है। एबीएस, सिकल रोग के सभी रोगियों में सामान्य रूप से पाया जाता है। लेकिन, विभिन्न प्रकार के सिकल सेल रोग होते हैं। किसी व्यक्ति को किस विशिष्ट प्रकार का सिकल रोग होगा, यह एचबीएस के अलावा, हीमोग्लोबिन के प्रकार पर निर्भर करता है जो, आप अपने माता-पिता से प्राप्त करते हैं।

जब माता-पिता दोनो में ही एचबीएस होता है, तो उनके बच्चे को एचबीएसएस हो सकता है, जो कि पूरी दुनिया में सर्वाधिक आम किस्म का सिकल सेल रोग पाया जाता है।

हीमोग्लोबिन जीन में अन्य संभावित प्रकार के परिवर्तन भी हो सकते हैं, जो माता-पिता से उनके बच्चों में अंतरित हो सकता है
उदाहरण:
एचबीएससी
एचबीएस बीटा –थैलेसीमिया
एचबीएस की तरह, इन जीन्स से यह सीमित किया जाता है कि लाल रक्त कोशिकाएं कितनाऑक्सीजन शरीर में वहन करती हैं।
एचबीएस का किसी भी दूसरे हीमोग्लोबिन जीन, जैसे एचबीसी और एचबीबीटा-थैलेसीमिया के साथ संयोजन बच्चे में अंतरित किए जाने से बच्चा सिकल सेल रोग के साथ पैदा हो सकता है।
सिकल सेल रोग लाल रक्त कोशिकाओं को कम स्थिर बना देता है
एचबीएस जीन लाल रक्त कोशिकाओं को कड़ा और दरांती के आकार का बना देता है जिससे कोशिका का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। ये अस्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं, स्वस्थ कोशिकाओं की तुलना में तेजी से एक दूसरे से अलग होकर टूटती है और शरीर अपनी आवश्यकता के अनुसार रक्त कोशिकाओं की पुन: उत्पत्ति उतनी तेजी से नहीं कर पाता है। इससे रक्ताल्पता/ अनिमिया नामक समस्या पैदा हो जाती है जिससे व्यक्ति कमज़ोर और थका हुआ बना सकती है।

डिस्क के आकार से लाल रक्त कोशिकाओं को छोटी रक्त वाहिकाओं से बिना क्षतिग्रस्त हुए सिकुड़ कर गुजरना संभव हो पाता है। अपने स्वस्थ डिस्क आकार को बनाए रखने से, लाल रक्त कोशिकाएं शरीर में ऑक्सीजन वहन कर सकती हैं।
सिकल सेल रोग में पीड़ा की तकलीफ क्यों होती है?
सिकल सेल रोग लाल रक्त कोशिकाओं से आगे बढ़ जाता है। अकसर इस रोग का रक्त वाहिकाओं और अन्य रक्त कोशिकाओं, जैसे सफेद रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स पर भी खामोशी से निरन्तर प्रभाव पड़ता रहता है।

चिपचिपापन (स्टीकीनेस)
छोटी आयु से ही, सिकल सेल रोग से रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त और सूजने लगती हैं। क्षतिग्रस्त रक्त वाहिकाओं में जलन होने लगती है और ये वाहिकाएं रक्त में सेलेक्टिन नामक अणु (मोलेक्यूल्स) को सक्रिय कर देती हैं। आप सेलेक्टिन को “चिपचिपे कारकों” के रूप में समझसकते हैं। इन चिपचिपे कारकों की वजह से ही रक्त कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं की दीवारों और एक दूसरे से चिपक जाती हैं।

समूहन (क्लस्टरिंग)
जैसे जैसे अधिक से अधिक रक्त कोशिकाएं इन “चिपचिपे कारकों” के संपर्क में आती हैं, कोशिकाएं एक दूसरे से और वाहिका दीवारों से चिपक जाती हैं। इसके कारण रक्त की धारा में कलस्टर्स बन जाते हैं।


अवरोध
कलस्टर्स बन जाते हैं और ये अवरोध का रूप धारण कर लेते हैं, जिसके रक्त और ऑक्सीजन का सामान्य प्रवाह मुश्किल हो जाता है। जब किसी को सिकल सेल रोग होता है, तो कलस्टर्स बनने और उनका अवरोध में परिवर्तन निरन्तर जारी रहता है।

पीड़ा संबंधी तकलीफ क्या है?

रक्त कोशिकाएं एक दूसरे से और रक्त वाहिका की दीवारों पर चिपक जाती हैं, जिससे कलस्टर्स बनते हैं, और इस प्रक्रिया को एकाधिक कोशिकीय आसंजन (अधिश्यन) कहा जाता है। जब रक्त कोशिका कलस्टर्स काफी बड़े हो जाते हैं तो इससे रक्त अवरूद्ध हो सकता है और सामान्य रूप से ऑक्सीजन का प्रवाह बाधित हो सकता है। रक्त वाहिकाओं में ऑक्सीजन की कमी के कारण पीड़ा के प्रकरण हो सकते हैं, जिन्हें पीड़ा संबंधी तकलीफ भी कह सकते हैं।
तकलीफ के समय पीड़ा गंभीर हो सकती है जिसके लिए चिकित्सा देखभाल की ज़रूरत हो सकती है।लेकिन अकसर, सिकल सेल रोग से पीड़ित लोग, चिकित्सा सहायता प्राप्त किए बिना घर पर ही कष्ट उठाते रहते हैं। समय के साथ-साथ, पीड़ा संबंधी ये तकलीफें बार बार होने लगती हैं और व्यक्ति की दशा और खराब हो जाती है। इसीलिए, आपको या आपके बच्चे को हो रही हर पीड़ा संबंधी तकलीफ को ट्रैक करना और अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को बताना महत्वपूर्ण है.